संदेह अलंकार-
जब उपमेय में उपमान का संशय हो तब संदेह अलंकार होता है। या जहाँ रूप, रंग या गुण की समानता के कारण किसी वस्तु को देखकर यह निश्चित न हो कि वही वस्तु हैऔर यह संदेह अंत तक बना रहता है, वहाँ सन्देह अलंकार होता है। उदाहरण-
1. कहूँ मानवी यदि मैं तुमको तो ऐसा संकोच कहाँ?
कहूँ दानवी तो उसमें है यह लावण्य की लोच कहाँ?
वन देवी समझूँ तो वह तो होती है भोली-भाली।।
2. विरह है या वरदान है।
3. सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है।
कि सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।
4. कहहिं सप्रेम एक-एक पाहीं।
राम-लखन सखि होहिं की नाहीं।।
5. यह मुख है या चंद्र है।
5. यह मुख है या चंद्र है।
5 वे उदाहरण के लिए गलत चयन है ।
जवाब देंहटाएंइसमें संदेह नहीं है ।
sahi hai
हटाएंBahut ache sudarshan hai
जवाब देंहटाएंThank you so much sir bahut accha udaharn
जवाब देंहटाएंOr ache se batyea
जवाब देंहटाएंThank you sir for more easy examples
जवाब देंहटाएंसही है
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंय है सरस और की बूंदे
जवाब देंहटाएंया है मंजुल मोती
यह बहुत ही अच्छा उदाहरण है
Thanks
जवाब देंहटाएंplease arth b bta diya kriye
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंSahi
जवाब देंहटाएंAcha ex.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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