संदेह

संदेह अलंकार-  

   जब उपमेय में उपमान का संशय हो तब संदेह अलंकार होता है। या जहाँ रूप, रंग या गुण की समानता के कारण किसी वस्तु को देखकर यह निश्चित न हो कि वही वस्तु हैऔर यह संदेह अंत तक बना रहता है, वहाँ सन्देह अलंकार होता है। उदाहरण-

1.  कहूँ मानवी यदि मैं तुमको तो ऐसा संकोच कहाँ?
     कहूँ दानवी तो उसमें है यह लावण्य की लोच कहाँ?
     वन देवी समझूँ तो वह तो होती है भोली-भाली।।

2.  विरह है या वरदान है।



3.  सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है।
     कि सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।

4. कहहिं सप्रेम एक-एक पाहीं। 
     राम-लखन सखि होहिं की नाहीं।।

5. यह मुख है या चंद्र है। 

15 टिप्‍पणियां:

  1. 5 वे उदाहरण के लिए गलत चयन है ।
    इसमें संदेह नहीं है ।

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  2. य है सरस और की बूंदे
    या है मंजुल मोती
    यह बहुत ही अच्छा उदाहरण है

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