भ्रांतिमान

भ्रांतिमान अलंकार- 

     जहाँ प्रस्तुत को देखकर किसी विशेष साम्यता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम हो जाता है, वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है। उदाहरण-

1.   चंद के भरम होत मोड़ है कुमुदनी। 

2. नाक का मोती अधर की कान्ति से,
    बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
    देखकर सहसा हुआ शुक मौन है,
    सोचता है, अन्य शुक कौन है।

3.  चाहत चकोर सूर ऒर , दृग छोर करि।
     चकवा की छाती तजि धीर धसकति है।

4.  बादल  काले- काले केशों को देखा निराले। 
     नाचा करते हैं हरदम पालतू मोर मतवाले।।

5.  पाँव महावर दें को नाइन बैठी आय। 
    पुनि-पुनि जानि महावरी एड़ी भीजत जाय।।  

35 टिप्‍पणियां:

  1. ओस बिंदु चूक रही है हंसिनी
    मोती उनको जान
    मुझे यह लगता है कि यह सबसे अच्छा उदाहरण है कृपया आप बताएं कि आपको यह उधारण कैसा लगा धन्यवाद

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  2. चंद के भरम होत मोड़ है कुमुदनी iska MATLAB kyA hai

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  3. पाँव महावर दें को नाइन बैठी आय।
    पुनि-पुनि जानि महावरी एड़ी भीजत जाय।।

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  4. भ्रांतिमान अलंकार के लक्षण कौन से हैं

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  5. Thanks...hamari help ke liye ye karne ke liye ...Google se hame bahut help milti h

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