विरोधाभास अलंकार-
जहाँ बाहर से विरोध दिखाई दे किन्तु वास्तव में विरोध न हो। जैसे-
1 ना खुदा ही मिला ना बिसाले सनम।
ना इधर के रहे ना उधर के रहे।।
2. जब से है आँख लगी तबसे न आँख लगी।
3. या अनुरागी चित्त की , गति समझे नहिं कोय।
ज्यों- ज्यों बूड़े स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय।।
4. सुनहु देव रघुवीर कृपाला ।
बन्धु न होइ मोर यह काला ।
5. सरस्वती के भंडार की बड़ी अपूरब बात ।
ज्यों खरचै त्यों- त्यों बढे , बिन खरचे घट जात ॥
6. शीतल ज्वाला जलती है, ईंधन होता दृग जल का।
यह व्यर्थ साँस चल-चलकर , करती है काम अनिल का।.
Ji sir acche h example
जवाब देंहटाएंBahut achha sirg, dusare alankar bhi esi trh example sahit samjhaen
जवाब देंहटाएंThanks🙏🙇
जवाब देंहटाएंBhuat aacha
जवाब देंहटाएं