विभावना अलंकार :-
जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाय , वहां विभावना अलंकार होता है ।
जैसे-
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु करम करै विधि नाना।।
आनन रहित सकल रस भोगी ।
बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।
स्पष्टीकरण - उपर्युक्त उदाहरण में कारण न होते हुए भी कार्य का होना बताया जा रहा है । बिना पैर के चलना , बिनाकान के सुनना, बिना हाथ के नाना कर्म करना , बिना मुख के सभी रसों का भोग करना और बिना वाणी के वक्ता होना कहा गया है । अतः यहाँ विभावना अलंकार है ।
उदाहरण 2
निंदक नियरे राखिए , आँगन कुटी छबाय।
बिन पानी साबुन निरमल करे स्वभाव।।
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