व्यतिरेक अलंकार-
जब काव्य में उपमान की अपेक्षा उपमेय को बहुत बढ़ा चढ़ा कर वर्णन किया जाता है, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। जैसे-
1. जिनके जस प्रताप के आगे ।
ससि मलिन रवि सीतल लागे।
2. उसकी मुखड़ा के आगे।
कलानिधि फीका लागे।
ससि मलिन रवि सीतल लागे।
2. उसकी मुखड़ा के आगे।
कलानिधि फीका लागे।
P
जवाब देंहटाएंor dijiye odharn
जवाब देंहटाएंSo good😛
जवाब देंहटाएंFff
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