मानवीकरण अलंकार -
जब काव्य में प्रकृति को मानव के समान चेतन समझकर उसका वर्णन किया जाता है , तब मानवीकरण अलंकार होता है |
जैसे -
1. है विखेर देती वसुंधरा मोती सबके सोने पर ,
रवि बटोर लेता उसे सदा सबेरा होने पर ।
2. उषा सुनहले तीर बरसाती
जय लक्ष्मी- सी उदित हुई ।
3. केशर -के केश - कली से छूटे ।
4. दिवस अवसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही
वह संध्या-सुन्दरी सी परी
धीरे-धीरे।
Ak bar ak ak achar padha hota to ye kami nahi hoti
जवाब देंहटाएंVery good for project work
जवाब देंहटाएंरुपसि तेरा घन केशपाश
जवाब देंहटाएंनभ गंगा की रजत धार मे
धो आई क्या इन्हे रात मे ...
है विखेर देती वसुंधरा मोती सबके सोने पर ,
जवाब देंहटाएंरवि बटोर लेता उसे सदा सबेरा होने पर ।
फूल हँसे कलियाँ मुसकाई।
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