मानवीकरण

 मानवीकरण अलंकार -

जब काव्य में प्रकृति को मानव के समान चेतन समझकर उसका वर्णन किया जाता है , तब मानवीकरण अलंकार होता है | 
जैसे - 

1. है विखेर देती वसुंधरा मोती  सबके  सोने पर ,
    रवि बटोर लेता उसे सदा सबेरा होने पर । 

2. उषा सुनहले तीर बरसाती 
    जय लक्ष्मी- सी उदित हुई । 

3. केशर -के केश - कली से छूटे । 

4. दिवस  अवसान  का समय 
    मेघमय आसमान से उतर रही 
    वह संध्या-सुन्दरी सी परी 

    धीरे-धीरे। 

5 टिप्‍पणियां:

  1. रुपसि तेरा घन केशपाश
    नभ गंगा की रजत धार मे
    धो आई क्या इन्हे रात मे ...

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  2. है विखेर देती वसुंधरा मोती सबके सोने पर ,
    रवि बटोर लेता उसे सदा सबेरा होने पर ।

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  3. फूल हँसे कलियाँ मुसकाई।

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