यमक अलंकार-
जिस काव्य में एक शब्द एक से अधिक बार आए किन्तु उनके अर्थ अलग-अलग हों, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण 1.
या खाए बौरात नर या पाए बौराय।।
इस पद में 'कनक' शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले 'कनक' का अर्थ 'सोना' तथा दूसरे 'कनक' का अर्थ 'धतूरा' है।
अन्य उदाहरण-
उदाहरण 2.
माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे,मन का मनका फेर।।
कर का मनका डारि दे,मन का मनका फेर।।
इस पद में 'मनका ' शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले 'मनका ' का अर्थ 'माला की गुरिया ' तथा दूसरे 'मनका ' का अर्थ 'मन' है।
उदाहरण 3.
उदाहरण 3.
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहती हैं।
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहती हैं।
इस पद में 'घोर मंदर ' शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले 'घोर मंदर ' का अर्थ 'ऊँचे महल ' तथा दूसरे 'घोर मंदर ' का अर्थ 'कंदराओं से ' है।
उदाहरण 4.
कंद मूल भोग करैं कंदमूल भोग करैं
तीन बेर खाती ते बे तीन बेर खाती हैं।
इस पद में 'कंदमूल ' और ' बेर' शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले 'कंदमूल ' का अर्थ 'फलों से' है तथा दूसरे 'कंदमूल ' का अर्थ 'जंगलों में पाई जाने वाली जड़ियों से ' है। इसी प्रकार पहले ' तीन बेर' से आशय तीन बार से है तथा दूसरे 'तीन बेर' से आशय मात्र तीन बेर ( एक प्रकार का फल ) से है ।
उदाहरण 4.
कंद मूल भोग करैं कंदमूल भोग करैं
तीन बेर खाती ते बे तीन बेर खाती हैं।
इस पद में 'कंदमूल ' और ' बेर' शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले 'कंदमूल ' का अर्थ 'फलों से' है तथा दूसरे 'कंदमूल ' का अर्थ 'जंगलों में पाई जाने वाली जड़ियों से ' है। इसी प्रकार पहले ' तीन बेर' से आशय तीन बार से है तथा दूसरे 'तीन बेर' से आशय मात्र तीन बेर ( एक प्रकार का फल ) से है ।
उदाहरण 5.
भूखन शिथिल अंग, भूखन शिथिल अंग
बिजन डोलाती ते बे बिजन डोलाती हैं।
भूखन शिथिल अंग, भूखन शिथिल अंग
बिजन डोलाती ते बे बिजन डोलाती हैं।
उदाहरण 6.
तो पर वारों उर बसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी, ह्वै उरबसी समान।।
तू मोहन के उर बसी, ह्वै उरबसी समान।।
उदाहरण 7.
देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह |
बहुरि न देही पाइए, अबकी देह सुदेह ||
उदाहरण 8.
मूरति मधुर मनोहर देखी।
भयउ विदेह -विदेह विसेखी।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें