विशेषोक्ति अलंकार
काव्य में जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का न होना पाया जाय , वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।
जैसे -
नेह न नैनन को कछु उपजी बड़ी बलाय।
नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
काव्य में जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का न होना पाया जाय , वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।
जैसे -
नेह न नैनन को कछु उपजी बड़ी बलाय।
नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
उदाहरण -
मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम |
फूलहि फलहि न बेत , जदपि सुधा बरसहिं जलद |
स्पष्टीकरण - उपर्युक्त उदाहरण में कारण होते हुए भी कार्य का न होना बताया जा रहा है ।
आप के नंबर मेरे पास भेजो अभी मेरा मोबाइल नंबर लिखो 97 85 14 15 93
जवाब देंहटाएंविशेषोक्ति अलंकार
जवाब देंहटाएंकाव्य में जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का न होना पाया जाय , वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।
जैसे -
नेह न नैनन को कछु उपजी बड़ी बलाय।
नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
उदाहरण -
मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम |
फूलहि फलहि न बेत , जदपि सुधा बरसहिं जलद
Sir ji इसका उदाहरण ये भी होगा न कि “मेरे नैना सावन भादों फिर भी मेरा मन प्यासा।”
जवाब देंहटाएंBilkul bhai.. और विरोधाभास का उदाहरण :- टिप टिप बर्शा पानी पानी ने आग लगाई।।।
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जवाब देंहटाएंत्यौं त्यौं प्यासेई रहत ज्यौं ज्यौं पियत अघाइ। सगुन सलौने रुप की जुन चख त्रषा बुझाइ॥
2 2 mag brashate fir bhi may pasi ki pasi
जवाब देंहटाएंपानी बिच मीन रही प्यासी ,यह सुनी सुनी मोहे आवै हासी
जवाब देंहटाएंविशेषोक्ति अलंकार ....
Neh na nainnu Kao kchhu upji dashi Blair not bhare but prati thai tau n pyas bujhai
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