विशेषोक्ति अलंकार

विशेषोक्ति अलंकार 
काव्य में जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का न होना पाया जाय , वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।  
जैसे - 
नेह न नैनन को कछु उपजी बड़ी बलाय। 
नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
उदाहरण -

मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम |
फूलहि फलहि  न बेत , जदपि सुधा बरसहिं  जलद | 


स्पष्टीकरण - उपर्युक्त उदाहरण में कारण  होते हुए भी कार्य का न होना बताया जा रहा है ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. आप के नंबर मेरे पास भेजो अभी मेरा मोबाइल नंबर लिखो 97 85 14 15 93

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  2. विशेषोक्ति अलंकार
    काव्य में जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का न होना पाया जाय , वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।
    जैसे -
    नेह न नैनन को कछु उपजी बड़ी बलाय।
    नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
    उदाहरण -

    मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम |
    फूलहि फलहि न बेत , जदपि सुधा बरसहिं जलद

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  3. Sir ji इसका उदाहरण ये भी होगा न कि “मेरे नैना सावन भादों फिर भी मेरा मन प्यासा।”

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    1. Bilkul bhai.. और विरोधाभास का उदाहरण :- टिप टिप बर्शा पानी पानी ने आग लगाई।।।

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  4. त्यौं त्यौं प्यासेई रहत ज्यौं ज्यौं पियत अघाइ। सगुन सलौने रुप की जुन चख त्रषा बुझाइ॥

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  5. पानी बिच मीन रही प्यासी ,यह सुनी सुनी मोहे आवै हासी

    विशेषोक्ति अलंकार ....

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  6. Neh na nainnu Kao kchhu upji dashi Blair not bhare but prati thai tau n pyas bujhai

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