अतिशयोक्ति अलंकार-
काव्य में जहाँ किसी बात को बढ़ा चढ़ा के कहा जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। उदाहरण-
1. हनुमान की पूँछ में, लगन न पायी आग।
लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
2. आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।
3. देखि सुदामा की दीन दसा,
करुना करिकै करणानिधि रोए।
4. पानी परात को हाथ छुयौ नहिं ,
नैनन के जल सों पग धोए।
5. जो रस नन्द यशोदा बिलसत सो नहिं तिंह भुवनियाँ।
5. जो रस नन्द यशोदा बिलसत सो नहिं तिंह भुवनियाँ।
chand taro mai najar aaye chehara tera
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