वक्रोक्ति

वक्रोक्ति अलंकार- 

     जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। उदाहरण-

1.  कौ तुम? हैं घनश्याम हम ।
      तो बरसों कित जाई।


2.  मैं सुकमारि नाथ बन जोगू। 
     तुमहिं उचित तप मो कहँ भोगू।। 



इसके दो भेद है- (i) श्लेष वक्रोक्ति (ii) काकु वक्रोक्ति

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