सोमवार, 28 नवंबर 2016

विभावना अलंकार

विभावना अलंकार :- 

जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाय , वहां विभावना अलंकार होता है । 
जैसे- 

बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु करम करै विधि नाना।।
आनन रहित सकल रस भोगी ।
बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।

स्पष्टीकरण - उपर्युक्त उदाहरण में कारण न होते हुए भी कार्य का होना बताया जा रहा है । बिना पैर के चलना , बिनाकान  के सुनना, बिना हाथ के नाना कर्म करना , बिना मुख के सभी रसों का भोग करना  और बिना वाणी के वक्ता होना कहा गया है । अतः  यहाँ विभावना अलंकार है । 

उदाहरण 2 
निंदक नियरे राखिए , आँगन कुटी छबाय। 

बिन पानी साबुन निरमल करे स्वभाव।।  

विषेशोक्ति अलंकार :- 

जहाँ कारण के होते हुए कार्य नहीं होता , वहाँ विषेशोक्ति अलंकार होता है | 
उदाहरण -

मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम |
फूलहि फलहि  न बेत , जदपि सुधा बरसहिं  जलद | 

स्पष्टीकरण - उपर्युक्त उदाहरण में कारण  होते हुए भी कार्य का न होना बताया जा रहा है ।



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